तब जाने क्यूँ इक सिहरन सी आती है सच कहता हूँ- माँ तब तू याद बहुत आती है। तब जाने क्यूँ इक सिहरन सी आती है सच कहता हूँ- माँ तब तू याद बहुत आती है।
अपने बच्चों को खुश रखने के लिए तू अपनी बीमारियों को भुला देती है मां, अपने बच्चों को खुश रखने के लिए तू अपनी बीमारियों को भुला देती है मां,
शब्द नहीं हैं पास मेरे क्या तेरा गुणगान लिखूं। शब्द नहीं हैं पास मेरे क्या तेरा गुणगान लिखूं।
मैं अबला नही, नादान नहीं मैं स्वाभिमान, खुद्दारी हूं। मैं अबला नही, नादान नहीं मैं स्वाभिमान, खुद्दारी हूं।
बिखर रहा है किसी नीड़ सा, तिनके- तिनके प्यार । बिखर रहा है किसी नीड़ सा, तिनके- तिनके प्यार ।